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न्याय किसी वर्ग का विशेषाधिकार नहीं बल्कि हर नागरिक का संवैधानिक अधिकार है -प्रधान जिला न्यायाधीश श्री एस. शर्मा…

कोरबा 10 नवंबर 2025 राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली के तत्वाधान, छ0ग0 राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के निर्देशन एवं प्रधान जिला न्यायाधीश/अध्यक्ष संतोष शर्मा, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा के मार्गदर्शन में रविवार 09 नवम्बर को राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस के अवसर पर न्याय जागरूकता विधिक कार्यक्रमों की श्रृंखला आयोजित की गयी।

कार्यक्रम में प्रधान जिला न्यायाधीश/अध्यक्ष संतोष शर्मा, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा, श्री जयदीप गर्ग, विशेष न्यायाधीश एस.सी./एस.टी. कोरबा, गरिमा शर्मा, प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश कोरबा, डॉ. ममता भेजवानी, अपर सत्र न्यायाधीश एफ.टी.एस.सी.(पॉक्सो) कोरबा, सोनी तिवारी, न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी कोरबा,सुश्री त्राप्ती राधव तृतीय व्यवहार न्यायाधीश कनिष्ठ श्रेणी कोरबा, सुश्री ग्रेसी सिंह प्रथम अतिरिक्त व्यवहार न्यायाधीश कनिष्ठ श्रेणी कोरबा, डॉ. किरण, प्रचार्या ज्योति भूषण प्रताप सिंह लॉ कॉलेज कोरबा की गरीमामयी उपस्थिति में विधिक सेवा दिवस का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम में प्रधान जिला न्यायाधीश ने विधिक सेवा दिवस कार्यक्रम का उद्देश्य बताते हुए आमजन को कानूनी अधिकारों की जानकारी देना, न्याय तक समान पहुंच सुनिश्ति करना, निःशुल्क विधिक सहायता योजनाओं के प्रति जागरूकता फैलाना रहा। उपरोक्त कार्यक्रम में अध्यक्ष/प्रधान जिला न्यायाधीश के द्वारा अपने उदबोधन में विधिक सेवा का साब्दिक अर्थ बताते हुए प्राचीन काल से कानून से संबंधित ज्ञान को सेवा के साथ न्यायिक प्रक्रिया मुगल काल, मगद काल के जमाने में त्वरित निर्णय प्रदान कर फैसला दिया जाता था जिसमें सुनवाई का अवसर नहीं मिल पाता था ऐसे में न्याय की पूर्ति नहीं हो पाती थी। कानूनों में सनैः सनैः विकास हुआ यह व्यवस्था बदलती गयी जब हमारा देश आजाद हुआ तब स्वतन्त्र न्यायिक व्यवस्था की स्थापना हुई उसके अंतर्गत सर्वोच्च न्यायालय, सभी राज्यों में उच्च न्यायालय, जिला न्यायालय एवं व्यवहार न्यायालय की स्थापना के बाद भी एक आवश्कता महसूस की जाती रही। जिसके अंतर्गत यह देखा गया कि जो निर्बल पक्ष या गरीब पक्ष अपना उचित प्रकार से न्यायालय में पक्ष प्रस्तुत नहीं कर पा रहा है। इसलिए जो न्याय प्रदान करने का प्रक्रिया था माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने पीड़ित पक्ष को जो खर्च वहन करने में सक्षम नहीं था संविधान में व्यवस्थाओं में संसोधन कर विधिक सेवा प्राधिकरणों का वर्णन है जो संविधान एवं उद्देशिका में भी निहित है।

विशिष्ट अतिथि उद्बोधन में लॉ कॉलेज की प्राचार्य डॉ. किरण चैहान ने विधिक सेवा दिवस मनाने की आवश्यकता को बताते हुए राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यों पर प्रकाश डालते हुए विस्तार से बताया एवं इसकी आवश्यकताओं पर बल देते हुए निरंतर कानूनी विकास में मददगार बताया।

सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के द्वारा कार्यक्रम का संचालन करते हुए विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 के तहत न्याय के अधिकार को व्यवहारिक रूप देने के लिए विधिक सेवा दिवस का असली मकसद समाज की अंतिम व्यक्ति तक न्याय की पहुंच सुनिश्चित करना है उन्होंने कहा कि लोग अदालतें, निःशुल्क विधिक सहायता और विधिक साक्षरता अभियान समाज में न्याय की सुलभता सुनिश्चित करते है। कानूनी सहायता सबके लिए हर समय थीम पर आधारित लोगो में कानून के प्रति लोगो में गहरी रूची जगायी।

उपरोक्त कार्यक्रम में लीगल एड डिफेंस कौंसिल कोरबा के अधिवक्तागण, विधि कॉलेक के विद्यार्थी, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा के समस्त कर्मचारीगण एवं पैरालिगल वॉलेण्टियर्स उपस्थित रहे।

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